आइये ,स्वागत है 
कविता पढ़ें भी और सुनें भी ..





मेरी यह कविता आपको ये सुनाती नही फिरेगी कि ये करो वो करो ये सोचो वो सोचो..
बल्कि आपको एक चरित्र को लेकर आपसे कुछ प्रश्न करेगी..
क्यूंकि जिस चरित्र पर यह कविता है उन्हें उनके संघर्षो इनके त्यागो से ही पूजा जाता है..
और वो चरित्र है भगवान् श्री राम..हा सभी इनके संघर्षों से परिचित हैं ,,
लेकिन क्या कभी इन्हें लेकर इनके संघर्षों को लेकर अपने भीतर कुछ प्रश्न आये हैं..?नही ..
ये कविता इस्न्ही प्रश्नों को अपने में समेटती है..बीएस ध्यान से सुनियेगा क्यूंकि अगर प्रश्न की गहरे तक नही उतर पाए तो आप प्रश्नों से पर्याप्त ऊर्जा नही ले सकेंगे....

सह ली कितनी यातना,पर 

कर्तव्य सर्वोपरि रखा

 त्याग, शील, संकल्प को

 जिस तरह जीवित रखा.. 

बोलो, कहाँ तक टिक सकोगे ?

यदि राम सा संघर्ष हो..


कल मुकुट जिस पर साजना था 

अब उसे सबकुछ त्यागना था.. 

निर्णयों के द्वन्द से, 

क बालपन का सामना था.. 

वचन भी था थामना, 

आदेश भी था मानना.. 

इस द्वंद में सोचो स्वयं को 

धर्म पर तुम रख सकोगे ?

बोलो, कहाँ तक तुम टिक सकोगे ?

यदि राम सा संघर्ष हो..

प्रजा तो बस राम की थी 

दुनिया उसे तो जप रही थी..

वचन ही था तोड़ देता

धर्म ही था छोड़ देता.. 

पर पीढ़िया क्या सीख लेंगी.. 

राम की चिंता यही थी.. 

हो छिन रहा एक क्षण में सबकुछ 

सोचो एक क्षण..क्या करोगे ?

बोलो, कहाँ तक टिक सकोगे ?

यदि राम सा संघर्ष हो..


केवट न जाने क्या किया था 

सौभाग्य जो उसको मिला था.. 

राम से ही तारने को , 

राम से ही लड़ गया था..

कुल, वंश उसके तर रहे थे 

सब राम अर्पण कर रहे थे..

जब सबकुछ हो बिखरा हुआ 

तुम सरल कब तक रह सकोगे..?

बोलो, कहाँ तक तुम टिक सकोगे ?

यदि राम सा संघर्ष हो..



है याद वो घटना तुम्हे ?

जब राम थे वनवास में.. 

सिया थी हर ली गई

था कौन उनके साथ में..? 

कुटी जब सूनी पड़ी थी 

दो भाई और विपदा बड़ी थी.. 

बोलो ऐसे मोड़ पर,

 तुम धैर्य कब तक रख सकोगे...?

बोलो कहाँ तक टिक  सकोगे ?

यदि राम सा संघर्ष हो..!!

वह तो स्वयं भगवान था 

पर कहाँ उसमे मान था ..

किरदार भी ऐसा चुना, 

जिसमें सिर्फ़ बलिदान था..

मर्यादा के प्राण थे

 रघुवंश के अभिमान थे .. 

श्री राम के अध्याय से 

एक पृष्ठ हासिल कर सकोगे..?

 बोलो कहाँ तक टिक सकोगे ?

यदि राम सा संघर्ष हो...

व्यथा इतनी ही नही है 

यह कथा इतनी ही नही है.. 

कुछ शब्द उनको पूर्ण कर दे

 राम वो गाथा नही है... 

जब तपे संघर्ष  में, 

तब हुए उत्कर्ष में..

क्या तुम भी ऐसी प्रेरणा

 पीढ़ियों के बन सकोगे..?

बोलो कहाँ तक तुम टिक सकोगे ?

यदि राम सा संघर्ष हो....

                                -kavi sandeep Dwivedi

57 Comments

  1. जय श्री राम

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  2. This is the bestt poem u r write....thanks to give motivation to us sir...

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  3. Ek baar phir maryada purshotam ko jeevant kar diya.

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  4. Sandeep sir, it is another best poem
    Whenever i find myself distracted your poem helpful for me to remember the purpose to serve the humanities.

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  5. क्या ग़ज़ब लिखा है गुरु

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    1. धन्यवाद् तिवारी जी

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  6. Bahut sundar likhte hai aap..Aur gate to usse bhi sundar hai..🙏🙏🙏

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  7. कर रहे संघर्ष जितना
    राम इसमें टिक न पाते
    यदि न होते ईश सोचो
    क्या यही सब कर दिखाते?

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  8. Yeh kavita mujhme ek gehre soach ko janm deti hai, ki Shri Ram ki manodasha aur meri aatma-chintan mein kitna fark hai. Wo sab tyaag ke bhi itne shaant aur main... Bahaut sahi piroya hai sabdon ko!!! Well said!!!

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  9. with your kind permission i m posting this in family whats app group

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  10. Bahut achha
    Aapki kavitayein sun kar hriday prasann ho jata hai

    www.rkuhindi.blogspot.com

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  11. Greatest of all time shree Ram

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  12. नमन है आपको और आपकी कविता को🙏

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  13. Bahut hi sundar kavita h sir jee....

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  14. Sir
    Is katha ko aur bada kijiye
    Sandar poem👍

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  15. प्रजा तो बस राम की थी
    दुनिया उसे तो जप रही थी..
    वचन ही था तोड़ देता
    धर्म ही था छोड़ देता..
    पर पीढ़िया क्या सीख लेंगी..
    राम की चिंता यही थी..
    हो छिन रहा एक क्षण में सबकुछ
    सोचो एक क्षण..क्या करोगे ?
    बोलो, कहाँ तक टिक सकोगे ?
    यदि राम सा संघर्ष हो

    Ye line chu jaati h appk... M aapki ye kavit roj subah uth kr sunata hu.. 🙏🙏🙏

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  16. Literally Sir that was a wonderful Scripts of the poem, I'll try my best to spread your words among my classmates as well as at recitation Competition.Thanks for such poem.Jai Shri Ram

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    1. ohh..heartily thank you Rohit ji..
      jai shri ram

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  17. वाह दिल को छु लेने वाली रचना।

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  18. thank you sugita mam..need your support..

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  19. ek brahman dwara rachit ek aesi kavita jisse pratek vaikti ke jivan main prerna rupi mrit jwala mikhui bhi poonah sakriya ho jata hai .

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  20. Very nice poem... Sandeep ji..

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  21. प्रभु श्री राम के संघर्षो के भाव प्रकट करने में आपकी कविता पूर्ण रूप से सफल है। ये रोंगटे खड़े कर देने वाली, हर दृश्य का विवरण करने वाली ऐसी कविता है। मन भाव विभोर है, आत्मसात करने के प्रयास में हैं। इस अद्भुत और अकल्पनीय रचना के लिए धन्यवाद कवीजी।

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  22. ।। जय श्री राम ।।

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  23. Dear Sandeep ji
    Your poems and the way you recite them is truly remarkable. They have help me pass through some very tough times (professionally as well as personally) . Hope you achieve the highest echelons in the field of poetry.
    Regards
    Dr Tyagi

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  24. One of the best poem I have ever read...... Really you're amazing..... Whenever I find myself little bit in problem (or have any stress) I just took my phone and read your poems......... thanks alot sir......You are fantastic.

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  25. Your poetries are very motivating sir.
    My little brother always recites your poems.🙏

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  26. Just one more amazing poem

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  27. Jb bhi ye kavita sunta ya padhta hu pta nhi kyu aankhein bhar aati h....

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  28. सबसे बेहतरीन प्रेरणा गुरुदेव

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  29. Bhutt achi Kavita hai sir .
    Mein bhi Kavita likhti hu ,sir , mein aapko aapni Kavita Parana chahiti hu plss mujhe bataiye mein woh aapko kaise send Kar Sakti hu.
    Aap hi meri ek inspiration Hain.

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  30. THANK YOU SIR , i have just hear -- in Bhagat singh college , DU

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  31. Master piece By legend 🙌 ❤ 🙏

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