विश्व ने राम को जाने क्या क्या कहा....सीता कहती रही राम ही सत्य थे..: Kavi Sandeep Dwivedi Poem
आइये स्वागत है..
कविता सुनें भी पढ़ें भी ..
सीता कहती रही राम ही सत्य थे ...
कब उन्होंने कहा
मैं चलूँ साथ में
पथ ये वनवास का
मैंने ही था चुना..
वो गिनाते रहे
राह की मुश्किलें
प्रेम थे वो मेरे
प्रेम मैंने चुना...
लांघी थी मैंने ही
सीमा की देहरी
दोष किसका था ?
मेरा या श्री राम का..
राम न जाते
लक्ष्मण को न भेजती ..
सब मेरे ही किये का
ये परिणाम था..
विश्व ने राम को जाने क्या क्या कहा
सीता कहती रही राम ही सत्य थे..
जिसको पाने को
दर दर भटकते रहे
प्रेम के आगे सागर भी
न टिक सका
वो भला ऐसे कैसे
मुझे त्यागेंगे
एक क्षण भी मेरे बिन
जो न रह सका..
विश्व ने राम को जाने क्या क्या कहा
सीता कहती रही राम ही सत्य थे..
प्रेम जो अपना वो
अग्नि पर धर दिए
उनका उपकार था ये
मेरे लिए
पीढियां मुझको कुछ
न कहें इसलिए
सारे अपयश उन्होंने
स्वयं ले लिए..
विश्व ने राम को जाने क्या क्या कहा
सीता कहती रही राम ही सत्य थे..
न श्री राम की
एक तरफ थी प्रजा
एक तरफ जानकी
वो तडपता ह्रदय भी
न तुम पढ़ सके
गढ़ ली थी परत
जिसमे पाषाण की..
विश्व ने राम को जाने क्या क्या कहा
सीता कहती रही राम ही सत्य थे..
कह लो कहना हो जो
जो कह सको राम को
ज्ञात हो ऐसा राजा
नही पाओगे
धर्म को थमते लुट गया
जो स्वयं
ऐसे त्यागी तपी को तरस जाओगे..
विश्व ने राम को जाने क्या क्या कहा
सीता कहती रही राम ही सत्य थे..
-kavi sandeep dwivedi
6 Comments
अत्यंत सुंदर रचना जिसको महसूस किया जा सकता है लेकिन व्याख्यान नही।।
ReplyDeleteBahut hi shaandar poetry likhi
ReplyDeleteYe kavita padh kr sunkar bhagwan Ram k liye mere mann m or jyada badh gaya
बहुत शानदार भाई साहब
ReplyDeleteमैं पागल नही हूँ,
ReplyDeleteये बस सोच तुम्हारी हैं....२
माना परिस्थितियो ने मरोड़ा हैं
वक्त ने भी खूब निचोड़ा हैं
दिल से अभी थोड़ी आहत हूँ
मन की कुछ ज्यादा ही भाबुक हूँ
पर मैं पागल नही हूँ
ये तो बस सोच तुम्हारी हैं......२
माना परायो ने छोड़ा है
कुछ अपनो ने भी नाता तोड़ा हैं।
सबको तो भूल जाती हूँ
स्वयं में तुझे खोजती रह जाती हूँ
पर मैं पागल नही हूँ।
ये तो बस सोच तुम्हारी हैं......२
माना राम रूप तलाशती हूँ
और तुझ पर आकर रुक जाती हूँ
ज्यादा तो नही जानती हूँ
फिर भी कुछ तो तुझे पहचानती हूँ।
पर मैं पागल नही हूँ
ये तो बस सोच तुम्हारी हैं......२।
माना अल्हड़ हूँ, बेबाक हूँ
तेरी नजरो में न मैं खास हूँ।
ये सोचकर होती जब उदास हूँ
विश्वास कहता हैं
खुद के लिए लाजवाब हूँ
पर मैं पागल नही हूँ
ये तो बस सोच तुम्हारी हैं......२ 📝दीप्तिश्री। मेरी डायरी से कुछ......
बहुत बहुत सुन्दर हमने भी ठाना है जैसे भी आज हो कल को सत्य को आना है प्रेम सदा सच्चा होता है क्यों की राधा का ही कृष्ण सदा साथ होता है।।🚩🚩🙏🙏
Deleteबहुत बहुत सुन्दर हमने भी ठाना है जैसे भी आज हो कल को सत्य को आना है प्रेम सदा सच्चा होता है क्यों की राधा का ही कृष्ण सदा साथ होता है।।🚩🚩🙏🙏
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