अर्जुन के लक्ष्य विबेध में... द्रोण को पहचानिए..: Best Poem on Teachers Day : Kavi Sandeep Dwivedi
आइये स्वागत है ,कविता सुनें भी और पढ़ें भी ..
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.....इतिहास साक्षी है..ये उन्नति साक्षी है..हम सब साक्षी हैं की हम सबने सीखा है.. और जब हमे सीखा है तो किसी ने सिखाया ही होगा.. और जिसने कुछ भी सिखाया है वही गुरु है... "शिक्षा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.. प्रस्तुत है इस शिक्षा दिवस पर मेरी कुछ पंक्तियाँ
झरनों के जल झंकार में
मेरु शिल को जानिये
अर्जुन के लक्ष्य वेध में
द्रोण को पहचानिये..
आइये स्वागत है ,
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.....इतिहास साक्षी है..ये उन्नति साक्षी है..हम सब साक्षी हैं की हम सबने सीखा है.. और जब हमे सीखा है तो किसी ने सिखाया ही होगा.. और जिसने कुछ भी सिखाया है वही गुरु है... "शिक्षा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.. प्रस्तुत है इस शिक्षा दिवस पर मेरी कुछ पंक्तियाँ
झरनों के जल झंकार में
नदियों की बहती अथक धारा
चलती मधुर एक साज पर
सागर से होता मिलन कैसे ?
रहती नही जो ढाल पर
ग़र कोई आगे बढ़ा है
अपने क़दमों में खड़ा है
होती है कोई ढाल ही
जिसने उसे पहचान दी..
उस नदी की धार पर
उस ढाल को पहचानिए
अर्जुन के लक्ष्य वेध में
द्रोण को पहचानिये..
ज्ञान के संचार की
बिन गुरु नही परिकल्पना
औरों की तो बात क्या
भगवान् ने भी गुरु चुना..
कृष्ण में संदीपनी को,
वसिष्ठ को राम में जानिये..
अर्जुन के लक्ष्य वेध में
द्रोण को पहचानिये..
- Kavi Sandeep Dwivedi
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8 Comments
Very nice poem
ReplyDeleteI want to talk with you sir
Please....
thank you rishabh ji....
Deletebilkul hmein message karein rishabh jii..
Sir मेरु शिल का क्या अर्थ है?
ReplyDeleteपर्वत के पत्थर,
Deleteशिल मतलब पत्थर
और मेरु मतलब पर्वत पहाड़
धन्यवाद
सराहनीय
ReplyDeleteधन्यवाद आपका। ।
DeleteBig fan of you,,,,,ek aisi avaj jo dil ko chhoo jati h🙏
ReplyDeletebahut achha
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