दर्ज सारे सत्र भी हों
सब मिलन सब पत्र भी हो
कोई बेवजह न रूठ जाये
इसलिए मैं लिख रहा हूँ...
सत्य कब पहचानता है
हार क्या है जीत क्या
कोई उसको ठग न पाए
इसलिए मैं लिख रहा हूँ...
एक जीवन ही नही
किरदार तो हर दौर है
कोई कथा ही बन सके
इसलिए मैं लिख रहा हूँ...
जिस कल्पना के पार मैं
संग उसके न जा सका
पंक्तियों के साथ पहुंचू
इसलिए मैं लिख रहा हूँ ..
कौन पढता है यहाँ
मैं जानता हूँ आजकल
बस जिनको मुझसे प्रेम है
उनके लिए मैं लिख रहा हूँ....
एक पत्र मेरा बारिशों में
मेरे शब्द लेकर बह गया था
1 Comments
Spectacular.!
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