Life Changing Poem | जिसको रखनी धार है, उसे तो घिसना पड़ेगा।। Kavi Sandeep Dwivedi
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ओट में कब तक छुपोगे?
राह में कब तक रुकोगे?
कब तक रखोगे रोककर,
बढ़ चलो ये सोचकर.।
ये बारिशें चलती रहेंगी,
भीगना फिर भी तुम्हें है
आग पर मैंने कहा कब,
हाथ अपना झोंक आओ
एक छोटा दिया सांचो,
आग को दीपक बनाओ
आग जैसी भी जलेगी
बात ये तो रहेगी ही
जग जले या हथेलियां,
झुलसना फिर भी तुम्हें हैं
ये बारिशें चलती रहेंगी
भीगना फिर भी तुम्हें है ...
लक्ष्य जबकि दूर है,
तो तुम यहाँ पर क्यों खड़े हो
रास्ते में खो गए
या लक्ष्य से डरने लगे हो
यदि डर गए तो जान लो
बात कसकर बांध लो..
अब चलो या बाद में,
चलना फिर भी तुम्हें है
ये बारिशें चलती रहेंगी
भीगना फिर भी तुम्हें है...
जिसको रखनी धार है
उसे तो घिसना पड़ेगा
बहुत कुछ सहना पड़ेगा
बहुत कुछ सुनना पड़ेगा
समय रहते मान लो
राह कोई थाम लो
क्योंकि धार
बन पाए न पाए
पिघलना फिर भी तुम्हें है
ये बारिशें चलती रहेंगी
भीगना फिर भी तुम्हें है...
-Sandeep Dwivedi
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1 Comments
Need and real situation at time
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