Nagar Prem Ka..| Love Poem by Kavi Sandeep Dwivedi
नगर प्रेम का..Love Poem by Sandeep Dwivedi
प्रेम के संदर्भ में न जाने कितना लिखा जा चुका है.. कहा जा चुका है, पढ़ा जा चुका है
लेकिन फिर भी प्रेम एक अंतहीन अनवरत चलने वाली धारा है।
जिसमें न भावों की सीमा है और न हि प्रकट करने की।
किसी प्रेमी के हृदय की वो स्थिति जब बातों बातों में उसकी प्रियतम का जिक्र आता किस तरह उसके भीतर प्रेम भरी दुनिया निर्मित होने लगती है।।
यह कविता कुछ उसी भाव को संभालती है।। ❤😊
यूँ ही बातों बातों में,
जब तेरी बातें चलती हैं..
मैं शेष अकेला बचता हूँ,
दुनिया कुछ ऐसे ढलती है..
मेरे भीतर की दुनिया में,
नगर प्रेम का बस जाता है..
मेरे घर से उसके घर का
रस्ता मोड़ संवर जाता है..
गली गली की प्रेम कथाएं,
फूलों को चुनती बालाएं,
शहरी हाल सुनातीं गातीं,
इठलाती सी चलती जाएं..
प्रेम रंग में डूबे डूबे,
मेहंदी सा मन,रच जाता है..
मेरे भीतर की दुनिया में,
नगर प्रेम का बस जाता है..
किस्सा कोई एक सुनाता,
सुनने वाले यूँ खो जाते..
किस्सा वाला छलिया कोई,
काश कभी हम भी हो जाते..
यह स्वप्न सत्य न भी हो पाए,
सुनकर भी प्रेमी, तर जाता है
मेरे भीतर की दुनिया में,
नगर प्रेम का बस जाता है।।
कोई प्रेम सफलता अपनी,
मीठे मीठे स्वर गाता है..
आँखों के कोरों से कोई,
मीठी यादें छलकाता है..
है दोनों का ही अपना सुख,
मन कुछ ऐसे ढल जाता है..
मेरे भीतर की दुनिया में,
नगर प्रेम का बस जाता है।।
देखो, कितनी शीतलता,
कोमलता अंदर छायी है..
है हाल ये जब, तू नही यहां,
बस, यादें तेरी आयी हैं..
तू आयेगी, जब सोचूँ तो,
मन चंदन सा महकाता है..
मेरे भीतर की दुनिया में,
नगर प्रेम का, बस जाता है।।
-Sandeep Dwivedi
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