Women's Day Special |नारी सब कर सकती है |
है कौन जगह
वो जहाँ नही है
कुछ भी कह दो
मना नही है
रोटी के चूल्हे
तपती है।
तारों से जाकर
मिलती है
यही है जो
जीवन रचती है
रिश्तों को
थामे रखती है
स्थिर है
हर विपदा में
है नाम हरेक
स्पर्धा में
कमजोर नही,
ये वो है जो
दुर्गम पर्वत
चढ़ सकती है
नील गगन के
पंछी सी
पंख पहन
उड़ सकती है
नारी सब कर सकती है।
नारी सब कर सकती है।
- संदीप द्विवेदी
| Happy Women's Day |
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2 Comments
। हे सावित्री ! सीता , हे सती !! हो रानी लक्ष्मीबाई तुम। काली बनकर के आई तुम ।। वीरों जैसी , काली देवी । परहित करने वाली देवी ।। दुष्टों के नाश हेतु आई । तुम चिर सजीव , तुम स्थायी।। प्रेम तुम्हारा जीवित है । ना सीमित अरे असीमित है।। प्रेयसी हो तुम, संसार कहे। अबला नारी प्रतिकार सहे।। है प्रेम तुम्हारा मातृ रूप। शक्ति तुम में ज्यों कोटि भूप।। तुम प्रेयसी हो तो शांत नदी। यदि भूप बनीं हिल जाये सदी।। नारी ही राष्ट्र विधाता है । वो सब जन की सुखदाता है।। माता ही दिशा पुत्र को दे । फिर पुत्र राष्ट्र निर्माण करे।। नारी ने सभी सुधार दिये । अति मूढ पुरुष भी तार दिये ।। 'तुलसी' इसके प्रत्यक्ष प्रमाण। पत्नी ने उनको दिया ज्ञान।। नारी का यौवन सुन्दरतम। उससे भी सुन्दर उसका मन।। हैं दया, शील और क्षमादान। ये हैं नारी में विद्यमान।। - सूर्य प्रकाश शर्मा
ReplyDeleteहार स्वीकार हारी तेरी जीत को,
ReplyDeleteपाल नौ माह पीड़ा तेरी प्रीत को,
माहवारी प्रसव यातनाएँ सहीं,
पर निभाया ज़माने की हर रीत को |