हिम्मत भरा साल | New Year Poem 2022 | Kavi Sandeep Dwivedi
उम्मीदों भरी आंच से
सेन्को नया साल।
नयी नज़रों नये अंदाज़ से
देखो नया साल।
भुलाओ क्या बुरा हुआ
क्या खोया तुमने
हुआ जो हुआ इसको बनाओ
हिम्मत भरा साल।
खोया तो है दोस्त
तुमने भी और हमने भी
रोया भी है खूब
तुमने भी और हमने भी।
लेकिन नये सवेरों को
सजा न दो
भला इनका क्या दोष।
नये सूरज को चूमो
पूछो उसका हाल।
उम्मिद्दों की आंच से
सैन्को नया साल।
आँसुओं को दिल से निकालो
बहुत है जो हमने
पाया नही है
बहुत दिन से, खुद को
हंसाया नही है।
खिलाती है रोज़
नये फूल,नये पत्ते
ये ज़िंदगी
अंग्डाइयों की गरमाहट
है
इसका हर एक सुर ताल
उम्मीदों भरी आंच से
सैन्को नया साल।
अपने भीतर ही हैं
अंधेरे और उजाले
अब हम पर है ये
हम हैं किसके सहारे
मुश्किलें आज भी हैं,
कल भी थी
रहेंगी भी।
तो क्या ये तय करेंगी
यार,अपना हाल?
उम्मीदों की आंच से
सैन्को नया साल।।
-कवि संदीप द्विवेदी
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