जिस दशा में हो अर्जुन उसको.. जग कायर कहकर गाता है |best poem by kavi sandeep dwivedi
अर्जुन अनगिन शस्त्र तुम्हारे
तनी भुजाओं के प्यासे हैं..
भेद रही है तेरी शिथिलता,
भरी भरी इनकी सांसें है..
युद्ध भूमि में खड़े हुए का,
युद्ध ही आँका जाता है..
जिस दशा में अर्जुन उसको
जब कायर कहकर गाता है..
अर्जुन जो कुछ मैंने छोड़ा
बोलो,क्या सब मन का था?
परिवार युद्ध तट पर पहुंचे,
क्या निर्णय अंतर्मन का था..?
परख हेतु नाविक की,नदियां
लहर उठाया करती हैं..
पार्थ सुनो, पीड़ाएं ही तो
साधक जाया करती हैं..
जिस मोड़ खड़े हैं कुरुवंशी,
मुझको भी कहाँ सुहाता है..
लेकिन कुछ घूंट,युगों के हित
विष का भी धारा जाता है।
जिस दशा में हो अर्जुन उसको,
जग कायर कहकर गाता है..
तुमने मानी हार तो,अर्जुन
युग की हिम्मत टूटेगी..
द्वन्द् से उद्यम हार गया,
अर्जुन,पीढ़ी ये सीखेगी।
मुझसे भी विश्वास उठेगा,
कैसे वो भला खड़ा होगा..
अर्जुन,हम दोनों से ही
यह संसार बड़ा होगा..
कठिनाई से लड़कर ही,
कोई गौरव पद पाता है
जग में,ऐसे योद्धा को ही,
कह वीर बुलाया जाता है..
जिस दशा में हो अर्जुन उसको
जग कायर कहकर गाता है..
देखो,एक दृष्टि में सबको,
सब तुमको ही ताक रहे हैं
कौरव के वीरों को देखो,
देख तुम्हें वो कांप रहे हैं
अभी नहीं है भान उन्हें,
ये अर्जुन भी उनमें से है..
कहो,शिविर फिर लौट चलूँ
जब युद्ध न तेरे बस में है
कौरव को विजय पताका दो
तुम करो वही जो भाता है
बैठो,देखो तुम द्वन्द्व लिए
अब धर्म कहाँ पर जाता है..
जिस दशा में हो अर्जुन उसको
जग कायर कहकर गाता है..
- sandeep dwivedi
1 Comments
Aapki books konsi hai jisme sabhi oems
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