वो भाषा अपनी हिंदी है। 

शब्दों का न ओर छोर 
अर्थों से रखे सराबोर
हो भाव कोई भी छोटा सा 
सौ तरह उसे कह सकती है
जो भावों को पाला करती है
वो भाषा अपनी हिन्दी है..


संस्कृत की अनुपम छाया 
जिस पर छायी रहती है
श्रृंगार वीर हो कोई भी रस 
शब्दों में डुबोये रहती है
गागर में सागर भरती है
वो भाषा अपनी हिन्दी है... 
जो भावों को पाला करती है
वो भाषा अपनी हिन्दी है..

   - कवि संदीप द्विवेदी

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