लिखने में दुनिया का सबसे सरल निबंध...पर जीवन में उतारने में उतना ही साहस और चुनौती भरा लालबहादुर शास्त्री जी का जीवन।।
मैं सरस्वती स्कूल का छात्र रहा हूं.. खास बात यह थी की यहाँ पढ़ते हुए हम सब पांचवी कक्षा तक में ही हम लगभग सारे महापुरुषों के बारे में खूब पढ़ लिया करते थे...
और उनमें से लिखने के हिसाब से लालबहादुर शास्त्री पर निबंध सबसे आसान लगता था..उनके किस्से हम सबको मुंहजबानी याद रहते थे...
प्रतियोगिता होती थी, परीक्षा होती थी..
और प्रश्न होता था.. -
किसने गंगा नदी तैर कर पार की.. ?
लाल बहादुर शास्त्री पर एक निबंध लिखिये ?
लाल बहादुर शास्त्री के जीवन के कोई दो रोचक किस्से बताइये जो आपने पढ़े हैं?
ह ह ह.. और हम लोग लम्बे लम्बे निबंध लिखा करते थे उनपर .. सबसे आसान लगता था हमें।।।
समय के साथ समझ आता है..ये निबंध लिखने में जितना आसान था.. जीवन में उतारना उतना नही..
हमें याद था उनका
- पैसा न होने पर गंगा तैर कर पार करने वाली घटना ..
-वो घटना जब कहते हैं उन्होंने उपवास रखने की घोषणा की थी लेकिन दिये खराब चावल को खाने से मना कर दिया था.. ये उनके स्वाभिमान के किस्से थे..
- सादगी में, कहते हैं उनके घर में प्रधानमंत्री बनने के बाद शायद कूलर लगाया गया था और इन्होंने ये कहकर उस निकलवा दिया था कि उनकी बेटियों को कूलर की आदत लग जायेगी.. और कल को मैं प्रधानमंत्री नही रहा या फिर इनके ससुराल में ये सुविधा नही रही तो मुश्किल होगी...
सोचिये, ये एक प्रधानमंत्री सोच रहा है.. जिसके पास
कितना पैसा हो सकता था..कभी कमी हो सकती थी.?
और उनमें से लिखने के हिसाब से लालबहादुर शास्त्री पर निबंध सबसे आसान लगता था..उनके किस्से हम सबको मुंहजबानी याद रहते थे...
प्रतियोगिता होती थी, परीक्षा होती थी..
और प्रश्न होता था.. -
किसने गंगा नदी तैर कर पार की.. ?
लाल बहादुर शास्त्री पर एक निबंध लिखिये ?
लाल बहादुर शास्त्री के जीवन के कोई दो रोचक किस्से बताइये जो आपने पढ़े हैं?
ह ह ह.. और हम लोग लम्बे लम्बे निबंध लिखा करते थे उनपर .. सबसे आसान लगता था हमें।।।
समय के साथ समझ आता है..ये निबंध लिखने में जितना आसान था.. जीवन में उतारना उतना नही..
हमें याद था उनका
- पैसा न होने पर गंगा तैर कर पार करने वाली घटना ..
-वो घटना जब कहते हैं उन्होंने उपवास रखने की घोषणा की थी लेकिन दिये खराब चावल को खाने से मना कर दिया था.. ये उनके स्वाभिमान के किस्से थे..
- सादगी में, कहते हैं उनके घर में प्रधानमंत्री बनने के बाद शायद कूलर लगाया गया था और इन्होंने ये कहकर उस निकलवा दिया था कि उनकी बेटियों को कूलर की आदत लग जायेगी.. और कल को मैं प्रधानमंत्री नही रहा या फिर इनके ससुराल में ये सुविधा नही रही तो मुश्किल होगी...
सोचिये, ये एक प्रधानमंत्री सोच रहा है.. जिसके पास
कितना पैसा हो सकता था..कभी कमी हो सकती थी.?
- ऐसा भी था.. शायद आप ये भी सुने हों कि आखिर में उनके पास से गिने चुने पैसे थे और किताबें कई।।
आज हमारे पास ऐसे उदाहरण विरले रह गए हैं...
लालबहादुर शास्त्री जी (2 अक्टूबर 1904- 11जनवरी 1966) की जीवनी जो सिद्धांत, ईमानदारी और सादगी के जो पाठ हमारे मन, आचरण में जिस तरह घोल गयी थी.. जीवन बदल गया।
आज हमारे इसी सादगी भरे जिनसे देश का प्रधानमंत्री पद अब तक खुशबू बिखेर रहा है.. शोभायमान हो रहा है.. गौरवान्वित होता है...
आज उनकी पावन जयंती है..
आज उनकी पावन जयंती है..
जीवन में उसूल होना चाहिए, काम में लगन होनी चाहिए ईमानदारी होनी चाहिए
यह सब पाठ पढ़ाकर गए हमारे इस प्रधानमंत्री को
शत शत नमन्..
यह सब पाठ पढ़ाकर गए हमारे इस प्रधानमंत्री को
शत शत नमन्..
सदियाँ आपको गा गाकर धन्य होती रहेंगी.. आपके किस्से पीढ़ियों का जीवन बदलते रहेंगे...
आप समय के साथ धुंधले नही.. बल्कि और...और ....और गहराते जायेंगे।।।
हम सब आपके संदेश बच्चों को सिखाते रहेंगे..
और वो पूर्णांक लायेंगे.. आप पर लिखे गए निबंध पर..
आप समय के साथ धुंधले नही.. बल्कि और...और ....और गहराते जायेंगे।।।
हम सब आपके संदेश बच्चों को सिखाते रहेंगे..
और वो पूर्णांक लायेंगे.. आप पर लिखे गए निबंध पर..
जय हिंद..जय भारत..!!
लिखने में दुनिया का सबसे सरल निबंध...पर जीवन में उतारने में उतना ही साहस और चुनौती भरा लालबहादुर शास्त्री जी का जीवन।।
लिखने में दुनिया का सबसे सरल निबंध...पर जीवन में उतारने में उतना ही साहस और चुनौती भरा लालबहादुर शास्त्री जी का जीवन।।
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