महात्मा गाँधी @150 : Tributee to Mahatma Gandhi : Kavi Sandeep Dwivedi Best Speech
वैष्णव जन तो तेने कहिये
जे पीड परायी जाने रे..!
मैं जब भी ये गीत सुनता हूँ मुझे महात्मा गाँधी जी की याद आती है..कहते हैं गाँधी जी के बचपन के समय में उनकी माँ ये गीत उन्हें गुनगुनाया करती थी...उनकी माँ द्वारा सुनाये गये हरिश्चंद्र की जीवनी और सिखाये गये सत्य अहिंसा के पाठ..कहाँ जानती थी वो कि इस तरह अनजाने में वो एक नायक तैयार कर रही थी..
एक ऐसा नायक जो इन्ही सत्य अहिंसा के संदेशों पर चलकर अंग्रेजों की गुलामी से जूझ रहे देश में आजादी के लिए क्रांति पैदा करने वाला था..
जब हम गाँधी जी को याद करते हैं तो ढेर सारे आन्दोलन उभर कर आते हैं जिन्होंने देश में अंग्रेजों की नींव को हिलाकर रख दिया था ..
कभी स्वदेशी अपनाने के लिए देश को प्रेरित किया, सत्य, अहिंसा, शांति का पाठ पढाया..कई बार देश के लिए जेल में रहे..
मोहनदास करम चाँद गाँधी से महात्मा गाँधी बनने का सफ़र इतना आसान नही था..
एक दुबले पतले आदमी ने किस तरह देश भर में आजादी के लिए उनके भीतर एक जोश पैदा कर दिया था..अविश्वसनीय था..अद्वितीय था ..
फिर..फिर ऐसा भी होता है कि किसी भी काम में हम सबकी सहमति नही पा सकते...और 30 जनवरी 1948 को हम एक ऐसे ही वैचारिक विरोधी से गाँधी जी को नही बचा पाए...
............कहते हैं अपने साथ में वो हमेशा गीता रखते थे..
आज 2 अक्टूबर..उनकी जन्मतिथि है..
आइये महात्मा गाँधी की जीवनी एक बार फिर दोहराएं यकीन मानिए आप सत्य अहिंसा शांति की ताकत को हम बखूबी समझ पाएंगे..जीने की कला सीख पाएंगे..
वन्दे मातरम्..!!
हिन्द..जय भारत..!!!
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