सच लिखना लेखकों लेकिन..|Every Writer's Responsibility |Best Inspirational Poem
सच लिखना लेखकों,लेकिन खिला देना फूल
रेत की मिट्टी में..
बो देना उम्मीद,
आखिरी पंक्ति में..
जीत न भी लिख पाओ तो,
हौसलों को हारने मत देना।
लिखना सच..
लिखना कि पेड़ सूखे हैं
छाँव नही है, पतझड़ है
लेकिन कभी उसे गिरने मत देना..
लिखना कि पत्तियाँ हरी होंगी
आँधियाँ कुछ नही
इनकी जड़ों के आगे
अपनी डालियों में समेट सकती है
ये समूचा तूफान..
दौर की आयी
निराशा लिखना..
बरबादी लिखना..
तबाही लिखना..
लेकिन लिखना
उस पर भी..
जो खड़ा रहा
बरबाद होकर भी..
पांव लहलुहान रहे
लेकिन रास्ते भर,
चलते हुए कदमों के
निशान मिले।।
लिखना कि सन्नाटा है चारों ओर
चीखें हैं चारों ओर
हिम्मत है टूटी हुयी
मन डरा हुआ है..
लेकिन कलम मत रोकना यहां..
लिखना पंछियों के पंख
अब भी फड़फड़ाते हैं..
उनकी चहचहाहट
अब भी उमंग घोलती है..
हिम्मत टूटी हुयी है,
लेकिन हारी नही है..
सांसें अब भी
सर उठा रही हैं,
ज़िंदा रहने के लिए..
सच लिखना
क्योंकि एक तुम्हीं हो
जो बिखेर सकता है,
निराशा में आशा..
आंसुओं को बना सकता हैं
पौधों का पानी..
ढूंढ़ सकता है संभावनाएं
आपदाओं में भी..
एक तुम्हीं हो..
एक तुम्हीं बचे हो..
तुम मत भूलना
अपनी जिम्मेदारी..
क्योंकि दुनिया डटी है
वो देख रही है लेख
तुम्हीं बंधा सकते हो ढांढस..
तुम्हीं दे सकते हो साहस..
तुम्हीं दे सकते हो,
निडरता का वरदान..
सच लिखना लेखकों..
सच लिखना..
- संदीप द्विवेदी
1 Comments
Bahut shandar hai 🙏🏻💐
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