आलस तुमको ले डूबेगी |Eye Opening Poem for Students /Aspirants | Kavi Sandeep Dwivedi
आलस तुमको ले डूबेगी
सारी क्षमताओं को तुमने,
बैठे बैठे धूल किया ।
स्वप्न देखते समय बिताया,
लक्ष्य को कोसों दूर किया ।
इसी तरह यदि रहा अगर तो,
किस्मत हाथों में फूटेगी ।
आलस तुमको ले डूबेगी ।।
नींद तुम्हारी खुलती कब है,
वरना कोई कमी नहीं है ।
सब यूं ही हाथ चाहते हो तो,
तो दुनिया ऐसी बनी नहीं है।
जिसने ज़ोर लगाया होगा,
उसकी गागर भरी मिलेगी ।
आलस तुमको ले डूबेगी।।
कितने किस्से और गढ़े हैं,
अपनी कमी छिपाने के ।
कितने नगमें और लिखे हैं,
खुद को बड़ा बताने के।
इसी बहाने के दलदल में,
एक दिन तेरी नाव धँसेगी।
आलस तुमको ले डूबेगी ।।
मन आलस से भरे हुए हो,
दोष पांव को देते हो।
सूरज सागर लांघ गया,
तुम हो कि..अब तक लेते हो।
समय ,नींद को बेचा है तो,
ये बिक्री तुमको खूब खलेगी ।
आलस तुमको ले डूबेगी ।।
-संदीप द्विवेदी
ऐसी और कविताएं पढ़ने के लिए ब्लॉग पर खोजें ।।
1 Comments
Shaandar
ReplyDelete