Dar Hai Yadi Gir Jane Ka To..Shikhar Tumhare Liye Nahin Hai |Motivational Poem by Kavi Sandeep Dwivedi
मिट्टी
की परतों से
पथरीले
रास्तों से
यदि
जड़ें तुम्हारी घबराती हों
हिम्मत
नहीं जुटा पाती हों
तो
मेरे नाव पल्लव साथी,
ये
जगह तुम्हारे लिए नहीं है
डर
है यदि गिर जाने का तो,
शिखर
तुम्हारे लिए नहीं है।
मन
को सुलझाने में
ध्येय
नया पाने में
यदि
अड़चन दिखती हो
यदि
भटकन दिखती हो
डर
है यदि गिर जाने का तो
शिखर
तुम्हारे लिए नहीं है।
बार
बार की बिखरन
उलझा
उलझा जीवन
यदि
बेचैनी लाता हो,
मन
सोच सहम जाता हो,
तो
इन बाणों को तरकस दो,
ये दुर्ग तुम्हारे लिए नहीं है।
पांव
लगे घावों से
पथ
के बहकावों से
यदि
पीड़ा पाता हो
दृग
में आँसू लाता हो
तो
रास्ता कोई और चुनो
ये
शिला तुम्हारे लिए नहीं है।
यदि
डर है गिर जाने का तो,
ये
शिला तुम्हारे लिए नहीं है।
2 Comments
nice lines
ReplyDeletebhot sundar likha hai sir aapne
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