मां उर्मिला जग मौन है.. पर जानता तू कौन है |Best Poem By Kavi Sandeep Dwivedi
माँ उर्मिला,जग मौन है
पर जानता..तू कौन है
तुम हो ऐसी नायिका
उस युग की अद्भुत प्रेमिका
जिसका बिछड़ना प्रेम है
जिसका तड़पना प्रेम है
माँ उर्मिला,जग मौन है
पर जानता..तू कौन है
2.
श्री राम की गाथा रही
सो राम गाथा ले गए
महलों के पृष्ठों पर तेरे
बस नाम अंकित रह गए
तेरा विरह तुझ तक रहा
अश्रु आंचल तक बहा
रघुवर कथा के खंड मे
तू अनकहा वनवास है
माँ उर्मिला,जग मौन है
पर जानता..तू कौन है
3.
माँ प्रश्न जो पूछा नही?
निज प्राण से तुमने कभी
वो प्रश्न अंतर में लिए
युग कभी सोया नही
पर चाहो तो.. होता उजाला
माँ मौन तेरा साध डाला
प्रिय के तुम्हारे ध्येय पर
तू बने न कोई भंवर
सो सिंधु अंतर में लिए
सह गयी सारे कहर
मनसिंधु का संयम तेरा
सौमित्र का वनवास है ।
माँ उर्मिला,जग मौन है
पर जानता..तू कौन है
4.
विदा होते पाँव जब
विरह की बूंदों ने चूमे
प्रेम की ऐसी विवशता
सदा चुभती रही वन में
तू कथा का हिस्सा नहीं
चर्चित तेरा किस्सा नहीं
पर चित्र तेरा योगिनी
तप का नया अभ्यास है
माँ उर्मिला,जग मौन है
पर जानता..तू कौन है
5.
अवध का गौरव सदन
बोलो,तपोवन कब हुआ
जब मां तेरा स्पर्श पाया
भारत सा भ्राता हुआ
यह कठिन अध्याय है
तू सती का पर्याय है
यह प्रतीक्षा प्रेयसी
प्रेम का उपवास है।
माँ उर्मिला,जग मौन है
पर जानता..तू कौन है
6.
वनवास माता जानकी का
जब युगों ने गुनगुनाया
माँ जानकी के नेत्र में तब
सहज अंतर उतर आया
उर्मिला को देखते
कहा यूं ही सोचते
कठिन मेरा वन नहीं
अनुजा! तेरा वनवास है
माँ उर्मिला,जग मौन है
पर जानता..तू कौन है
7.
उर्मिला तेरे त्याग पर यदि
कथा कोई लिखी जाती
श्रीराम के समकक्ष तेरे
त्याग की गाथा सुनाती
वैभव में वैभव त्यागकर
जिस मौन से काटी पहर
उस मौन को जो लिख सके
वो लेखकों में व्यास है।
मां उर्मिला जग मौन है
पर जानता तू कौन है।
Sandeep Dwivedi
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